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लगाव (कविता)

अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur)


मेरी बात ( रचना - 2, लगाव )

 है कोई मुझे भी अच्छा लगता,
लगती हैं मुझे भी किसी की बातें प्यारी,
हर पल मुझे वो अपना सा लगता है
अपनी संवेदनाओं को दिल में समेटे हुए,
चाहता हूं मैं भी उसके साथ एक अटूट संबंध,
क्योंकि उसका साथ होना इच्छाओं का प्रस्फुटन है,
जीवन संगीत का गुंजन है,
है यही तो उसके लिए लगाव
लगाव और सिर्फ लगाव...

रवि चन्द्र गौड़
11/07/2020

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