अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात(रचना - 55,फूल की याचना) फूल कभी प्रतिकार नही; गुहार करते हैं, सदा करते है अपना सर्वस्व उत्सर्ग, गंध,रस,सौंदर्य दे कर, कली से मुरझाने तक का, जीवन हमें भी जीना है, न तोड़ो, …
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात,(रचना - 54, तुम और मैं.. ) तुम और मैं, हैं सबकी सोच से परे, तुम शब्द तो मैं अर्थ, तुम बिन मैं हूं व्यर्थ, तुम ध्वनि तो मैं नाद, तुम जीवन तो मैं प्रेरणा, तुम सांसे तो मैं प्र…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात,(रचना - 53,शब्द ) शब्दों में ही रचा - बसा संसार, शब्द ही सबक, शब्द ही परिणाम, शब्द ही सनक, शब्द ही ललक, शब्द ही कविता, शब्द ही माया, शब्द ही सहानुभूति, शब्द ही मरहम, शब्द ही…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात, (रचना -51,ये चालीस के बाद का जीवन) बचपन के पापा के राजा और राजकुमार, मम्मी की रानी और राजकुमारी, दादी और नानी की परी,जादूगरनी और चुड़ैल की कहानियों की धुंधली स्मृतियों के स…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात, (रचना -50,ठहरा हुआ सा है मेरा वक्त) कभी तो जीवन ही लगता है, बोझ सरीखा सा, निष्प्राण,निस्तेज और निरुत्साहित, कष्टों का पारावार ही नही है,क्योंकि समस्याओं की दहलीज पर, ठहरा ह…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) (मेरी बात, रचना - 49,शकुनि के पासे) अन्याय और दमन का गरल पी कर, पिता की अस्थियों से निर्मित, कुरूवंश के पतन के संवाहक, अन्याय और अनीति के द्योतक, चौसर पर इच्छाओं से, थिरकते और अंक बद…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) (मेरी बात,रचना - 47, लोग जो बदल गए हैं) लोग जो बदल गए हैं, करके अनेकों वायदे , दे कर झूठे दिलासे, तोड़ कर सपने सारे, होकर अनजाने से, लोग जो बदल गए हैं, व्हाट्सएप और फेसबुक पर, बसा कर…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) (मेरी बात,रचना - 47,जीतेंगे हम हर बाजी जीवन की) आए चाहेेेे कितनी ही बड़ी चुनौतियां, जीतेंगे हम हर बाजी जीवन की, लेकर अवलंब अपने विश्वास का, बढ़ा चुके हैं अपने कदम जीत की ओर, ऊहापोह, …
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) (मेरी बात, रचना - 45,स्वप्न, नहीं होते दिवास्वप्न) खुली आंखों से देखे जाने वाले स्वप्न, नही होते दिवास्वप्न, हर स्वप्न के पीछे होती है, परिश्रम की अकथनीय गाथा, पैरों में पड़े छाले, …
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) (मेरी बात, रचना - 44, दर्द ही तो है जो) दर्द ही तो है जो, कागज पर शब्दों में ढल कर, आकार लेता है, अव्यक्त भावनाओं पर, मौन सहमति बन कर, प्रेरणा देता है, दर्द ही तो है जो, कभी आंसुओ के…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात, (रचना - 42, जिम्मेदारियों की धूल से अटे पड़े हैं चेहरे मेरे) जिम्मेदारियों की धूल से, अटे पड़े हैं चेहरे मेरे, स्मृतियों के जालों से जकड़ा हुआ, नित नए संघर्षों के साथ, नि…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात, (रचना - 40, मुद्दतों बाद. ) कुछ कहने और सुनने को उत्सुक, जीवन के खालीपन को भूल कर, मुद्दतों बाद आज मन हुआ है यायावर, देखा भी और सुना भी बहुत, अब कुछ नया करने को तत्पर, मुद्…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात, (रचना - 39, एहसास अब सिमट रहे हैं ) एहसास अब सिमट रहे हैं, कभी शब्द नहीं मिलते, तो कभी ह्रदय, समर्पण और प्रेम भी, सदैव साथ नहीं चलते, शुष्क हो चले हैं, अब तो भाव भी, काग…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात, (रचना - 38, रेल की पटरियां) रेल की पटरियां, दूर तक दिखाई देती, राह के साथ चलती, खुद से ही बातें करती, हमेशा से कुछ कहती है, कभी सीधी तो कभी टेढ़ी, पर आपस में जुड़ी हुई, तो …
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात, (रचना - 37, विदा - 2020) अगणित स्मृतियों को सहेजकर, विदा हो रहा एक साल जीवन का, बना गया साक्षी अनेक घटनाओं का, भारतवर्ष को विश्वपटल पर, शाहिनबाग के विरोध का, तबलीगी जमात और…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात, (रचना -37, डायरी) जीवन की घटनाओं को दे कर, क्रमबद्धता और सजीवता, लिखती हूं मैं अपने पन्नों पर, यादों का ताना - बाना, चाहे सुख के पल हो, या दुख के आँसू, जीवन की उपलब्धियां …
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात,(रचना -36, ये आंखें...) कभी काजल से सजी तो, कभी आंसुओं से भरी हुई, हर्ष और विषाद की अनुभूति कराती, ये आंखें... कभी प्रेम से देखती हुई तो, कभी क्रोध से लाल हुई, खुद मे जीवन …
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात, (रचना - 35, मुखौटा) हर चेहरा आज सुंदरता का पर्याय है, इन चेहरों के पीछे साजिशों और रंजिशो के, कई चेहरों का मुखौटा है, जो करते थे दावा अपनेपन का , आज वही सबसे ज्यादा दू…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात,(रचना - 34,कि तुम न आओगी) न तुम जानती हो और न मै, कि बात क्या हुई, तल्खियां पसरती गई और हम खुद में ही सिमटते गए, फिर नहीं आया रास हमें कुछ भी, तुम्हारा काजल, बिंदिया और श्…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात ,(रचना - 32,क्रोंच की व्यथा) देख कर पीड़ा और अंत हमारा, उपजी थी प्रेरणा तुम्हारे अन्तःकरण में, कह कर मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः....., लिख दी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की क…
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