अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur)
मेरी बात, (रचना - 18 , हिन्दी दिवस)
भारतीय संस्कृति सदैव सबको खुद में समाहित कर उसे अपना बना देती है। कालांतर में हमने अनेक उतार - चढाव देखे है।अनेक शासक जो अन्य देशों से यहां आए और भारतीय संस्कृति का एक अंग बनकर रह गए। उनके भाषाओं का भी हम पर प्रभाव पड़ा और भारत देश विभिन्न संस्कृतियों का मिश्रण हो गया। इसके परिणामस्वरूप भारत एक विभिन्न भाषाओं का देश भी बन गया। इन सभी भाषाओं में हिंदी को मातृभाषा का दर्जा दिया गया है।
हिन्दी भाषा के कुछ तथ्य
1. फारसी शब्द ‘हिन्द’ से ही हिन्दी शब्द की उत्पत्ति हुई है जिसका अर्थ है ‘सिंधु नदी की भूमि’।
2. 1881 में हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार करने वाला सबसे पहला राज्य था बिहार।
3. 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में वोटिंग की गई थी जिसके आधार पर हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा मिला था और इसी कारण 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
4. यूँ तो भारत के हर क्षेत्र की अपनी अलग अलग भाषाएँ हैं लेकिन फिर भी देश के करीब 77% लोग हिन्दी बोलते और समझते हैं और इस तरह हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है।
5. हालाँकि हिंदी भारत की भाषा है लेकिन ये भारत के अलावा मॉरीशस, फिजी , सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद, टोबैगो और नेपाल में भी बोली जाती है।
6. हिंदी की सबसे रोचक बात ये है की हिंदी शब्दों को उसी तरह लिखा जाता है जैसे उन्हें बोला जाता है, इसीलिए ये भाषा सीखने में बाकी भाषाओँ की तुलना में ज्यादा आसान है।
7. जंगल, कर्मा, योगा, बंगला, चीता, लूटपाट, ठग या अवतार आदि कुछ ऐसे शब्द हैं जिनका अंग्रेजी में भी इस्तेमाल होता है और इन्हें हिंदी से ही लिया गया है।
8. इंटरनेट पर ज्यादातर इस्तेमाल अंग्रेजी भाषा का ही होता है लेकिन फिर भी हर 5 में से 1 व्यक्ति इंटरनेट को हिंदी में चलाना पसंद करता है।
9. हिंदी में 11 स्वर और 33 व्यंजन शामिल हैं।
10. हिंदी शब्द ‘हरि’ एक ऐसा शब्द है जिसके दर्जन से भी ज्यादा मतलब होते हैं जैसे यमराज, पवन, इन्द्र, चन्द्र, सूर्य, विष्णु, सिंह, किरण, घोड़ा, तोता, साँप, वानर और मेंढक, वायु, उपेन्द्र आदि।
11. सबसे पहले हिंदी में कविता लिखने वाले शख्स थे प्रख्यात कवि ‘अमीर खुसरो’।
12. हिंदी में सबसे पहली पुस्तक “टप्रेम सागर” 1805 में प्रकशित हुई थी जिसे लल्लू लाल ने लिखी थी।
13. आपको ये जानकर आश्चर्य होगा की हिन्दी भाषा के इतिहास पर पहले साहित्य की रचना करने वाला शख्स कोई हिन्दू नहीं बल्कि एक फ्रांसीसी लेखक था जिसका नाम है ग्रासिन द तैसी।
14. वेब एड्रेस बनाने में दुनिया भर की 7 भाषाओं का इस्तेमाल होता है और हिंदी उन्हीं में से एक है।
15. यूँ तो प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी भी विदेश में हिंदी में सभा को सम्बोधित कर चुके हैं लेकिन भारत की ओर से सबसे पहले 1977 में उस समय के विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी में संयुक्त राष्ट्र की आम सभा को सम्बोधित किया था।
16. हिंदी में सबसे ज्यादा उपयोग में लिया जाने वाला शब्द है “नमस्ते”।
17. आज भी यूनाइटेड स्टेट्स अमेरिका की 45 यूनिवर्सिटी सहित पूरी दुनिया की करीब 176 यूनिवर्सिटीज में हिन्दी भाषा में पढ़ाई जारी है।
(साभार संकलित - https://www.jagruk.in/hindi-bhasha-se-jude-rochak-tathya/)
हिन्दी दिवस की पृष्ठभूमि
14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत वर्ष 1949 से हुई थी। 14 सितम्बर 1949 को भारत की संविधान सभा ने हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया था तब से इस भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। भारत की संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को भारत गणराज्य की आधिकारिक राजभाषा के रूप में हिंदी को अपनाया गया था हालांकि, इसे 26 जनवरी 1950 को देश के संविधान द्वारा आधिकारिक रूप में उपयोग करने का विचार स्वीकृत किया गया था। संविधान के भाग 17 के अध्याय 343(1) में हिन्दी को संघ की राजभाषा का दर्जा दिया गया है। देश के 77% जनसंख्या द्वारा हिन्दी बोली जाती हैं। इसलिए इसे राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। सरकारी कार्यालयों और शिक्षण संस्थाओं में 15 दिनों का हिन्दी पखवाड़ा मनाया जाता हैं। इस दौरान सभी काम हिन्दी में किए जाते है।
हिंदी दिवस का महत्व
भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम होने के साथ ही किसी भी राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध बनाने , संरक्षित करने एवं पहचान दिलाने का साधन होती हैं। इस संबंध में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने भी कहा है कि,
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।
सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।।
भावार्थ:
निज यानी अपनी भाषा से ही उन्नति संभव है, क्योंकि यही सारी उन्नतियों का मूलाधार है।
मातृभाषा के ज्ञान के बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नहीं है।
विभिन्न प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान,
सभी देशों से जरूर लेने चाहिये, परन्तु उनका प्रचार मातृभाषा के द्वारा ही करना चाहिये।
हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है। यह हमारी परम्परा और एकता को निरंतर सिंचित करती आ रही हैं। यह हमारी भारतीयता की भावना को बल देती हैं और हमें एकजुट बनाए रखती हैं। यह युवाओं को अपनी जड़ों और संस्कृति के बारे में याद दिलाने का एक तरीका है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कहाँ तक पहुंचे हैं और हम क्या करते हैं अगर हम अपनी जड़ों के साथ मैदान में डटे रहे और समन्वयित रहें तो हम अपनी पकड़ मजबूत बना लेंगे और अपनी प्राचीन विरासतों का संरक्षण भी कर पाएंगे। यह दिन हर साल हमें हमारी असली पहचान की याद दिलाता है और भारतीय होने की गर्वानुभूति कराता है और देश के लोगों को एकजुट करता है। जहां भी हम जाएँ हमारी भाषा, संस्कृति और मूल्य हमारे साथ बरक़रार रहने चाहिए और ये एक सच्चे मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते है। हिंदी दिवस एक ऐसा दिन है जो हमें देशभक्ति भावना के लिए प्रेरित करता है। आज के समय में अंग्रेजी की ओर एक झुकाव है जिसे समझा जा सकता है क्योंकि अंग्रेजी का इस्तेमाल दुनिया भर में किया जाता है और यह भी भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। यह दिन हमें यह याद दिलाने का एक छोटा सा प्रयास है कि हिंदी हमारी आधिकारिक भाषा है और हमारे लिए बहुत अधिक महत्व रखती है। जहाँ अंग्रेजी एक विश्वव्यापी भाषा है और इसके महत्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता है वहीँ हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम पहले भारतीय हैं और हमें हमारी राष्ट्रीय भाषा का सम्मान करना चाहिए। आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अपनाने से साबित होता है कि सत्ता में रहने वाले लोग अपनी जड़ों को पहचानते हैं और चाहते हैं कि लोगों द्वारा हिंदी को भी महत्व दिया जाए। आज विभिन्न सरकारी संस्थाएं इसके लिए प्रयास कर रही है कि विश्वपटल पर हिन्दी को अंग्रेजी के समान महत्व मिले।
1977 में संयुक्त राष्ट्र संघ आम सभा के 32वें अधिवेशन में अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी में भाषण दिया। उस समय भारत में जनता पार्टी की सरकार थी और वे उस सरकार में विदेश मंत्री थे। यूएन में हिंदी में भाषण देने वाले पहले भारतीय थे।
कुछ विद्वानों ने हिन्दी के महत्व को बताते हुए कहा है , कि
"संस्कृत मां, हिंदी गृहिणी और अंग्रेजी नौकरानी है।"
- डॉ. फादर कामिल बुल्के।
"जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता।"
- देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद
"है भव्य भारत ही हमारी मातृभूमि हरी भरी। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा और लिपि है नागरी।"
- मैथिलीशरण गुप्त
"कैसे निज सोये भाग को कोई सकता है जगा, जो निज भाषा-अनुराग का अंकुर नहिं उर में उगा।"
- हरिऔध
"हिंदी भाषा का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न है।"
- महात्मा गांधी
आइए हम अपनी संस्कृति पर गर्व का अनुभव करें। अपनी समृद्ध और सुसंस्कृत भाषा के प्रयोग में शर्म का त्याग करें क्योंकि यह हमें वैश्विक पहचान दिलाती हैं।
मैथिलीशरण गुप्त लिखते हैं-
जिसको न निज देश तथा निज भाषा का अभिमान है,
वो नर नही निरा पशु है और मृतक समान हैं।
रवि चंद्र गौड़
2 Comments
👌
ReplyDeleteGreat
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