अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur)
मेरी बात (रचना - 7, आखिर क्यों ?)
[1]
संघर्ष और विवाद के पीछे,
सुलह की पहल आखिर क्यों?
ज़िद और घमंड़ के पीछे,
स्वार्थ की आंधी आखिर क्यों?
[2]
प्रश्नों और उत्तरों के पीछे,
अनिश्चितता का संशय आखिर क्यों?
सफलता और असफलता के पीछे,
प्रयासों की कहानी आखिर क्यों ?
[3]
सभ्यता और संस्कृति के पीछे,
लालच का खेल आखिर क्यों?
प्रकृति और प्रज्ञा के पीछे,
अस्तित्व का संकट आखिर क्यों?
[4]
परवरिश और रिश्तों के पीछे,
महानता का दंभ आखिर क्यों?
सामाजिकता और मनुष्यता के पीछे,
अपनेपन की चाह आखिर क्यों?
[5]
सरकार और राजनीति के पीछे,
नैतिकता का दमन आखिर क्यों?
योजनाओं और लूट के पीछे,
देशभक्ति का दिखावा आखिर क्यों?
[6]
बेइमानी और ईमानदारी के पीछे,
निजता का हनन आखिर क्यों?
नग्नता और व्यभिचार के पीछे,
चरित्र का महिमामंडन आखिर क्यों?
[7]
किसी की हर सोच के पीछे,
किसी का जिक्र आखिर क्यों ?
प्रेम की प्रत्येक मनुहार के पीछे,
किसी की बेरुखी आखिर क्यों ?
[8]
अपराध और पाप के पीछे,
न्याय की दुहाई आखिर क्यों?
आधुनिकता और धर्म के पीछे,
विचार संकीर्णता आखिर क्यों?
[9]
टूटते संबंधों और दिखावे के पीछे,
सहेजने की चर्चा आखिर क्यों?
घायल हृदय और उसकी संवेदनाओ के पीछे,
अश्रुपूरित सहानुभूति आखिर क्यों?
[10]
व्यापार और घर - बार के पीछे,
क्षणिक बनावटीपन आखिर क्यों?
कथनी और करनी के पीछे,
निर्लज्जता की चादर आखिर क्यों?
रवि चन्द्र गौड़
२१/०७/२०२०
1 Comments
Nice
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