पेज पर आप सभी का स्वागत है। कृप्या रचना के नीचे कमेंट सेक्शन में अपनी प्रतिक्रिया दे कर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें।

यादगार (1970) गीत समीक्षा



अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur)

(वीडियो प्ले करने के लिए वीडियो पर दो बार क्लिक करें)


Singers: महेंद्र कपूर
Song Lyricists: वर्मा मलिक
Music Composer: आनंदजी वीरजी शाह
Music Director: आनंदजी वीरजी शाह
Starring: मनोज कुमार,प्रेम चोपड़ा,नूतन,प्राण, मदनपुरी,कामिनी कौशल।

=====================

चलचित्र - यादगार (1970)
गीत - इकतारा बोले तुन तुन



                                  एक तारा बोले तुन तुन
क्या कहे ये तुमसे सुन सुन
एक तारा बोले तुन तुन
क्या कहे ये तुमसे सुन सुन
बात है लम्बी मतलब गोल
खोल न दे ये सबकी पोल
तो फिर उसके बाद
एक तारा बोले
तुन तुन सुन सुन सुन
एक तारा बोले तुन तुन
क्या कहे ये तुमसे सुन सुन
एक तारा बोले
तुन तुन तुन तुन तुन

कुछ ऐसे लोग भी होते हैं
कुछ ऐसे लोग भी होते हैं
अपनी गलती पे रोते हैं
अपना तो पेट नहीं भरता
पर दस दस बच्चे होते हैं
पर दस दस बच्चे होते हैं
हर साल केलिन्डर छाप दिया
परिवार नियोजन साफ़ किया
तो फिर उसके बाद
एक तारा बोले
तुन तुन सुन सुन सुन
एक तारा बोले तुन तुन
क्या कहे ये तुमसे सुन सुन
एक तारा बोले
तुन तुन तुन तुन तुन

पहले तो था चोला बुर्का
पहले तो था चोला बुर्का
फिर काट काट के वो हुआ कुरता
छोले की अब चोली है बानी
चोली से आगे क्या होगा
चोली से आगे क्या होगा
ये फैशन बढ़ता बढ़ता गया
और कपडा तन से घटता गया
तो फिर उसके बाद
एक तारा बोले
तुन तुन तुन तुन तुन
एक तारा बोले तुन तुन
कहे ये तुमसे सुन सुन
एक तारा बोले
तुन तुन तुन तुन तुन

अरे हेक्स तेरी ऐसी तैसी
अरे हेक्स तेरी ऐसी तैसी
सूरत है लड़की जैसी
तंग पैंट पतली टांगें
लगती हैं सिगरेट जैसी
लगती हैं सिगरेट जैसी
देश का यही जवान है तो
देश की ये संतान है तो
तो फिर उसके बाद
एक तारा बोले
तुन तुन तुन तुन तुन
एक तारा बोले तुन तुन
कहे ये तुमसे सुन सुन
एक तारा बोले
तुन तुन तुन तुन तुन

अरे राकेट कोई चाढ़ाते है
अरे राकेट कोई चाढ़ाते है
कोई एटम बम बनाता है
अमन के नाम पे देखो वो
दुनिया पे रोब जमाते है
दुनिया पे रोब जमाते है
बारूद अगर ये चल जाए
सारी दुनिया जल जाए
तो फिर उसके बाद
एक तारा बोले
तुन तुन तुन तुन तुन
एक तारा बोले तुन तुन
कहे ये तुमसे सुन सुन
एक तारा बोले
तुन तुन तुन तुन तुन

मंदिर से लोग घबराते हैं
मंदिर से लोग घबराते हैं
और रोज़ क्लब में जाते हैं
लोग भक्ति भजन सब भूल गए
और फ़िल्मी गाने गाते हैं
और फ़िल्मी गाने गाते हैं
जब धर्म नहीं और शर्म नहीं
कोई भी अच्छा कर्म नहीं
तो फिर उसके बाद
एक तारा बोले
तुन तुन तुन तुन तुन
एक तारा बोले तुन तुन
कहे ये तुमसे सुन सुन
एक तारा बोले
तुन तुन तुन तुन तुन

दो किस्म के नेता होते हैं
इक देता है इक पाता है
हो हो एक देश को लूट के खाता है
इक देश पे जान लुटाता है
हो हो एक ज़िंदा रह कर मरता है
इक मर कर जीवन पाता है
इक मारा तो नामो निशान ही नहीं
इक यादगार बन जाता है
इक यादगार बन जाता है
भगवान् करे मेरे देश के
सब नेता ही बन जाएँ ऐसे
थोड़े से लाल बहादुर हों
थोड़े से होण नेहरू जैसे
थोड़े से होण नेहरू जैसे

राम न करे मेरे देश को
राम न करे मेरे देश को
कभी भी ऐसा नेता मिले
जो आप भी डूबे देश भी डूबे
जनता को भी ले डूबे
अरे जनता को भी ले डूबे
वोट लिया और खिसक गया
जब कुर्सी से चिपक गया
तो फिर उसके बाद उसके बाद
एक तारा बोले तुन तुन तुन तुन
क्या कहे ये तुमसे सुन सुन
एक तारा बोले तुन तुन तुन तुन
तुन तुन तुन तुन तुन
तुन तुन तुन तुन तुन
तुन तुन तुन तुन तुन
तुन तुन तुन तुन तुन.


====================

1970 में बनी यह फिल्म आज 50 वर्षों के बाद भी प्रासंगिक हैं। फिल्म का गीत " इकतारा बोले तुन तुन ",आज के भारत की वर्तमान परिस्थितियों का भली - भांति चित्रण करते हुए प्रतीत हो रही है। 


गीत बड़बोले एवम् स्वार्थी लोगों को लक्ष्य करते हुए बताती हैं कि अधिक बोलने से गोपनीय बातें भी सार्वजनिक हो जाती हैं। साथ ही कुछ लोग अपने स्वार्थ के कारण कहते कुछ और है और करते कुछ और है।


 गीत बढ़ती जनसंख्या की ओर संकेत करते हुए कहती है कि जनसंख्या नियंत्रण में हम सभी को अपनी ज़िम्मेदारियों का भान होना चाहिए। परंतु कुछ लोग इस पर नियंत्रण ही नहीं करना चाहते हैं। परिणाम स्वरूप हम परिवार नियोजन के लक्ष्यों से दूर होते जा रहे हैं। 


गीत पाश्चात्य अंधानुकरण का प्रभाव पर भी ऊंगली उठाती हैं कि इसके कारण हम अपनी संस्कृति भूलते जा रहें हैं। शर्म, लाज,लिहाज को भूल कर फैशन के कारण हमलोग भारतीय परिधानों की अपेक्षा करते जा रहें हैं।

 

देश के युवा गलत खान - पान एवम् अनियमित दिनचर्या के कारण अपने स्वास्थ्य को खोते जा रहे हैं। वे शारीरिक एवम् मानसिक रूप से अगर ऐसे ही कमजोर होते रहें तो  देश की सीमाओं की रक्षा कौन करेगा?


गीत आज दुनिया में हथियारों की बढ़ती होड़ की तरफ़ भी इशारा करता है कि आज जिस देश के पास जितने अधिक आधुनिक हथियार होंगे तभी उसकी चौधराहट कायम रहेगी। वह अन्य देशों को डरा कर हुकूमत करता रहेगा।


 आधुनिकता के कारण लोग धार्मिक स्थलों की जगह क्लबों, डिस्को, पब आदि में जाना पसंद कर रहें हैं। भजन के स्थान पर फिल्मी गाने गाना अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है। हम राम और कृष्ण को आदर्श मानने वाले लोग भटकाव की तरफ जा रहें है। गीता में कहा गया है कि

श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।

स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः।।3.35।। 

अर्थात्,  अच्छी तरह आचरणमें लाये हुए दूसरेके धर्मसे गुणोंकी कमीवाला अपना धर्म श्रेष्ठ है। अपने धर्ममें तो मरना भी कल्याणकारक है और दूसरेका धर्म भयको देनेवाला है। आज लोगों को धर्म स्वीकार नहीं है , अपनी मनमर्जी से उन्होंने शर्म का परित्याग कर ही दिया है। मानवोचित कर्म भी अब कहानियों में रह गए हैं।


गीत में राजनेताओं पर भी व्यंग्य किया गया है कि नेताओ को आदर्शों पर चलने वाला होना चाहिए न कि खुद की जेब भरने वाला। गीत नेताओं में लाल बहादुर शास्त्री और पण्डित नेहरू की तरह आदर्श विकसित करने की वकालत कर रहा है।


 गीत में ईश्वर से प्रार्थना की गई हैं कि देश को जुमलेबाज,लालची और खुद की जेब भरने वाला नेता कभी नहीं मिलें।ऐसे नेता केवल वोट की खातिर ही दिखाई देते हैं , जो खुद तो डूबते ही है, सम्पूर्ण देश का ही बंटाधार कर देते हैं।


 कुल मिला कर गीत वर्तमान परिस्थितियों से पूरी तरह मेल खाता हैं। आज देश में जिस प्रकार लोग फैशन के पीछे भाग रहे हैं और जिस प्रकार नैतिक एवं मानवीय मूल्यों की अवहेलना करते जा रहे हैं। देश का युवा बेरोजगारी के कारण अपने आप को खोखला बनाता जा रहा हैं। सरकारी - तंत्र तो लूट - तंत्र बन चुका है और नेताओं को वोट के लिए राजनीति करनी हैं। इन सभी विषम परिस्थितियों का सजीव चित्र यह गीत प्रस्तुत करता है।



समीक्षक :रवि चन्द्र गौड़
06/08/2020

Post a Comment

2 Comments

👆कृप्या अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करें। आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए बहुमूल्य हैं।

SOME TEXTS/PICTURES/VIDEOS HAVE BEEN USED FOR EDUCATIONAL AND NON - PROFIT ACTIVITIES. IF ANY COPYRIGHT IS VIOLATED, KINDLY INFORM AND WE WILL PROMPTLY REMOVE THE TEXTS/PICTURES/VIDEOS.