अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur)
मेरी बात ( रचना - 9, चुनाव का लॉलीपॉप )
नेता जी कुछ दिनों से परेशान थे कि फिर चुनाव आने वाले है, दो बार से नेता जी की दबदबा कायम था। परन्तु, इस बार स्थिति विपरीत थी कि मैदान में बहुत सारे छुटभैया नेता थे,जो सिर्फ वोटकटवा की भूमिका में थे। मगर, वो सामाजिक कार्यकर्ता रामेश्वर तो गले की हड्डी बन गया था। जनता का झुकाव भी उसी की तरफ़ हैं। आखिर हो भी क्यों न, नेता जी की सूरत भी नहीं दिखती हैं,चुनाव जीत जाने के बाद पर रामेश्वर तो हर समय उन्ही के साथ हर संकट की घड़ी में मौजूद रहता हैं। उसके ही कारण लोगों ने इस बार नेता जी को वोट न देने का मन बना लिया है।
पहली बार का चुनाव नेता जी ने शराब की गंगा बहा कर जीता था और दूसरी बार का रूपए की बारिश करा कर। इस बार जनता की आंखों पर विकास का चश्मा चढ़ा हैं।
तभी नेता जी की नजर सड़क पर चिलचिलाती धूप में फुग्गे बेचने वाले पर पड़ी जो फुग्गों में हवा भर रहा था वो जितनी हवा भरता फुग्गा उतना ही फूल जाता था। यह देख कर नेता जी की बुद्धि के द्वार खुल गए और उन्हें चुनाव जीतने का महामंत्र मिल गया कि उन्हें भी तो अपने चुनावी लॉलीपॉप के फुग्गे में हवा भरनी है।
अब तुरंत उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस बुलाई और अपने क्षेत्र की जनता से क्षेत्र में समय न देने के लिए माफ़ी मांगी। नेता जी अब अपने कार्यकर्ताओं के साथ प्रत्येक सुबह क्षेत्र भ्रमण के लिए निकल जाते। लोगों के बीच जा कर बैठ जाते उनके साथ सत्तुवा खाते। सबकी समस्याएं सुनते उन्हें सुलझाने का आश्वासन देते और यदि छोटी - मोटी समस्या होती तो तुरंत निपटारा कर देते। नेता जी क्षेत्र की सारी समस्याओं को दूर कर देने के लिए थोक भाव में वायदें किए।
नेता जी की साधना सफल हुई,जो कुछ महीने उन्होंने एयरकंडीशनर के बिना बिताए थे,सारी सुख - सुविधाओं का त्याग कर दिया था। उसका फल उनको मिला,चुनाव आया लोगों ने नेताजी के चुनावी लॉलीपॉप पर विश्वास कर उन्हें उनकी कुर्सी पर ही काबिज़ बनाए रखा।
नेता जी पुनः गुमशुदा हो गए है और जनता अभी भी ये सोच रही हैं कि काश ये चुनावी लॉलीपॉप सच होता.........
रवि चन्द्र गौड़
02/08/2020
5 Comments
सुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद
Delete👌👌👌
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद
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