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प्रश्न ही अब मेरे उत्तर हैं(कविता)

अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur)
मेरी बात,(रचना-26,प्रश्न ही अब मेरे उत्तर हैं.......)

रिश्तों की दहलीज पर ,
कुछ अनसुलझे प्रश्नों के साथ,
बढ़ा रहा हूं कदम अपने,
अनजानी डगर पर,
प्रश्न ही अब मेरे उत्तर हैं......
नहीं परखना है मुझे अब,
तुम्हारे झूठ और सच को,
सह लिया है मेरे मन ने,
तुम्हारे सारे आघातों को,
प्रश्न ही अब मेरे उत्तर हैं......
संबंधो की हर कड़ी हो रही हैं शिथिल,
अब नहीं रोक पाओगे,
तुम मेरी विरक्ति के भाव को,
जो हैं अनवरत अपनी धारा में,
प्रश्न ही अब मेरे उत्तर हैं......
सोच के दरवाजे को बंद कर के,
शून्य में हो रहा हूं विलीन,
न तो है व्यक्त,और न तो अव्यक्त,
विचारों का मेरा द्वंद्व,
पा चुका परिणति अपनी,
प्रश्न ही अब मेरे उत्तर हैं......
मौन में करके ख़ुद को समाहित,
मान लिया है मैंने, 
अनुत्तरित नहीं है मेरे प्रश्न,
प्रश्न ही अब मेरे उत्तर हैं......
प्रश्न ही अब मेरे उत्तर हैं......


रवि चन्द्र गौड़

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