अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur)
मेरी बात,[रचना-27, रुपए मायने नहीं रखते (Rupees doesn't matter)]
हमारे आस - पास ऐसे लोगों की एक बड़ा समूह विद्यमान है, जो एक दार्शनिक की भांति अपने प्रत्येक वक्तव्य में "रुपए मायने नहीं रखते [Rupees doesn't matter]" का मंतव्य रखने से बाज नहीं आते है। नेता, अभिनेता, सरकारी पदाधिकारी, व्यवसायी सभी ऐसी बातों पर अपना उपदेश आपको कभी न कभी दे ही देंगे। ऐसे लोगों से आप धर्म, दर्शन, आध्यात्म, सामाजिक व्यवहार, नैतिकता किसी भी बिंदु पर बातें कर लीजिए, इनके समान निष्कपट,निश्छल, निष्काम महामानव कोई है ही नही। मगर जैसे ही वर्तमान समय के आर्थिक मुद्दों या अपनी समस्याओं पर इनसे चर्चा छेड़ कर देखिए तो नासा के वैज्ञानिकों की भांति प्रत्येक बात को स्वयंसिद्ध साबित करके आपको इस बात की घुट्टी जरूर पिलाएंगे कि "रुपए मायने नहीं रखते "
कभी ऐसी स्थिति का सामना भी करना पड़ता है जब ऐसे लोग सामनेवाले से अपना काम भी कराएंगे और साथ में बारम्बार ये भी कहते रहेंगे कि आप पैसे की चिंता न करें । रुपए मेरे लिए मायने नहीं रखते हैं,आप किसी तरह मेरा काम करा दीजिए । हद तो तब हो जाती है जब आप काम करा दें और फिर वो महामानव यह कहे कि मेरे कार्यक्रम में परिवर्तन हो गया है अभी आप भी इस मामले को स्थगित कर दीजिए। तरस आने लगता है इन महामानवों की बुद्धि पर कि तुम्हारा कोई काम योजना से क्यों नहीं होता, अपने विचारों में कब तुम परिपक्व बनोगे? सरकार की नजर सबके लेन - देन पर होती है। बैंक अकाउंट में अत्याधिक लेन - देन आपके काम करने वाले के लिए घातक सिद्ध हो सकता हैं। भाई ,तुम्हारे लिए रूपए मायने नहीं रखते हैं मगर मेरे लिए तो रखते हैं। अपुन लोगो के पास तुम्हारी तरह कल्पवृक्ष तो नहीं है कि जो भी चाहा पलक झपकते हाजिर हो गई। उपर से कॉरोना ने सबकी हालत खराब कर रखी है। किसी का रोजगार गया तो कोई दाने - दाने को मोहताज हो गया। अब द्वापर युग तो है नहीं कि अपुन भगवान श्री कृष्ण के निष्काम कर्म के सिद्धांत के अनुरूप चलेंगे और कर्म किए जाएंगे और फल की चिंता नहीं करेंगे। अपने पास जो थोड़ा सा संचित धन है उस पर भी सरकार की कुदृष्टि आ जाए तो जीवन कैसे चलेगा? जो समय मेरे स्वयं के जीवकोपार्जन के लिए नियत है, वो भी तुम्हारे अस्थिर और अनियोजित कार्यों में लगा देंगे तो अपुन का बोलो राम, दिला दो राम और फिर राम नाम सत्य है वाली स्थिति आ जाएगी।
खैर महामानवों को भी हम जैसे सामान्य मनुष्यों की स्थिति को भी समझने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि अपुन जैसे लोगों की ज़िंदगी में
"रुपए मायने नहीं रखते [Rupees doesn't matter]"
वाली स्थिति आती ही नहीं है। बस किसी तरह जीवन चल जाए , विलासिता से दूर रहें , पेट भर जाए, स्वस्थ रहे, इसी में उम्र बीत जाती हैं।
रवि चन्द्र गौड़
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