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विदा 2020 (कविता)

अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur)

मेरी बात, (रचना - 37, विदा - 2020)



अगणित स्मृतियों को सहेजकर,
विदा हो रहा एक साल जीवन का,
बना गया साक्षी अनेक घटनाओं का,
भारतवर्ष को विश्वपटल पर,
शाहिनबाग के विरोध का,
तबलीगी जमात और मरकज के संक्रमण का,
कोरोना महामारी और विज्ञान की जंग का,
मास्क और सैनिटाइजर से बचाव का,
जनता कर्फ्यू, ताली और थाली सरीखे उपायों का,
मन की बात और आश्वासनों का,
लॉकडाउन और पलायन का,
बेरोज़गारी और मंदी के दंश का
भूख,त्रासदी और बीमारी से अनगिनत मौतों का,
अर्थव्यवस्था की धीमी प्रगति का,
राम मंदिर के शिलान्यास का,
सुशांत को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि का,
निर्भया के आरोपियों की सजा का,
राष्ट्र सर्वप्रथम और सर्वोपरि मानकर
पड़ोसियों को अपनी शक्ति का लोहा मनवाने का,
मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन का,
बिहार में चुनाव और राजनीति के नए प्रयोगों का,
ऑनलाइन शिक्षा के नाम पर,
छात्रों की मौज का और शिक्षकों की,
बदहाली और उत्पीड़न का,
किसान आंदोलन के नाम पर सियासी खेल का,
कुछ सुखद तो कुछ दुखद,
हर घटना अनोखे अनुभवों को सिखाती,
जिजीविषा के साथ प्रेरित करती आगे बढ़ने को,
राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देने को,
नए संकल्पों को हमसबके लिए छोड़ कर,
विदा 2020....
विदा 2020....



रवि चन्द्र गौड़












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