अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur)
मेरी बात, (रचना -37, डायरी)
जीवन की घटनाओं को दे कर,
क्रमबद्धता और सजीवता,
लिखती हूं मैं अपने पन्नों पर,
यादों का ताना - बाना,
चाहे सुख के पल हो,
या दुख के आँसू,
जीवन की उपलब्धियां हो,
या नाकामी के किस्से,
देती हूं मै सबको जगह,
अपने पन्नों पर,
नहीं करती मै कोई भेदभाव,
किसी घटना के साथ,
सुख की चाशनी में डूबे शब्द हो,
या दुख की अश्रु से सिंचित भाव,
सभी का स्वागत करके,
देती हूं प्रेरणा कि,
न दुहराना गलतियों को,
क्योंकि मै साक्षी हूं,
तुम्हारे प्रत्येक कर्मो की,
डायरी हूं मै....
रवि चन्द्र गौड़
2 Comments
उत्तम रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद
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