03:35:48PM
Tuesday 15/04/25, week 16
सूर्योदय: 05:28 , सूर्यास्त: 18:17
दिन की लम्बाई: 12h 49m
पेज पर आप सभी का स्वागत है। कृप्या रचना के नीचे कमेंट सेक्शन में अपनी प्रतिक्रिया दे कर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें।

मुखौटा (कविता)

अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur)

मेरी बात, (रचना - 35, मुखौटा)

हर चेहरा आज सुंदरता का पर्याय है,   
इन चेहरों के पीछे साजिशों और रंजिशो के, 
कई चेहरों का मुखौटा है,
जो करते थे दावा अपनेपन का ,
आज वही सबसे ज्यादा दूर है,
प्रेम और प्रीति तो दिखावा है,
स्वार्थ की आंच में सभी तो सेंक रहे हैं रोटियां,
सच की शक्ल में बिक रहा झूठ है,
न्याय की बात कौन करे अब यहां,
जब अंधेर नगरी और चौपट राजा हो,
अब भावनाओं के प्रवाह में, 
बोझिल हो रही है जिंदगी,
बिखरा पड़ा है चैन सबका,
न कोई पहले साथ था,
और न अब आएगा साथ,
चाहतों और ख्वाहिशों का क्या है,
हर रोज घोंट दिया जाता है इनका गला,
फर्क नहीं पड़ता किसी को भी,
सांसे अब चले या रुके।

रवि चन्द्र गौड़




Post a Comment

4 Comments

👆कृप्या अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करें। आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए बहुमूल्य हैं।

SOME TEXTS/PICTURES/VIDEOS HAVE BEEN USED FOR EDUCATIONAL AND NON - PROFIT ACTIVITIES. IF ANY COPYRIGHT IS VIOLATED, KINDLY INFORM AND WE WILL PROMPTLY REMOVE THE TEXTS/PICTURES/VIDEOS.