अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur)
मेरी बात, (रचना - 40, मुद्दतों बाद. )
कुछ कहने और सुनने को उत्सुक,
जीवन के खालीपन को भूल कर,
मुद्दतों बाद आज मन हुआ है यायावर,
देखा भी और सुना भी बहुत,
अब कुछ नया करने को तत्पर,
मुद्दतों बाद आज मन हुआ है यायावर,
दर्द और तानों की वाणी से आहत,
लेकर अक्श किसी का ह्रदय में,
मुद्दतों बाद आज मन हुआ है यायावर,
अपनी ही धुन में हो कर मगन,
सब मोह के बंधनों को तोड कर,
मुद्दतों बाद आज मन हुआ है यायावर,
कल्पना के घोड़े पर हो कर सवार,
जीतने को अंतर्द्वंदों का समर,
कुछ अनसुलझे रहस्यों और पहेलियों के साथ,
जानने को उनके नवीन समीकरणों का हल,
न रुका है समय किसी के लिए और न थमेगी इसकी चाल,
झेलने को इसके झंझावातों को एक बार फिर,
मुद्दतों बाद आज मन हुआ है यायावर......
मुद्दतों बाद आज मन हुआ है यायावर......
रवि चन्द्र गौड़
1 Comments
Mudto baad jivan umung aur akelepan ke kasmkas me chale ja raha hai.
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