अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur)
(मेरी बात, रचना - 43, तार)
परिचय
टेलिग्राफ यूनानी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है - दूर से लिखना। विद्युत द्वारा संदेश भेजने की इस पद्धति को तार प्रणाली तथा इस प्रकार समाचार भेजने को तार (telegram) करना या भेजना कहते है। अमेरिकी वैज्ञानिक सैमुएल मोर्स के मस्तिष्क में यह विचार आया कि विद्युत् की शक्ति से भी समाचार भेजे जा सकते हैं। इस दिशा में सर्वप्रथम प्रयोग स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक डॉ॰ माडीसन से सन् 1753 में किया। इसको मूर्त रूप देने में ब्रिटिश वैज्ञानिक रोनाल्ड का हाथ था, जिन्होने सन् 1838 में तार द्वारा खबरें भेजने की व्यावहारिकता का प्रतिपादन सार्वजनिक रूप से किया। यद्यपि रोनाल्ड ने तार से खबरें भेजना संभव कर दिखाया, किन्तु आजकल के तारयंत्र के आविष्कार का श्रेय अमरीकी वैज्ञानिक, सैमुएल एफ॰ बी॰ मॉर्स, को है, जिन्होने सन् 1844 में वाशिंगटन और बॉल्टिमोर के बीच तार द्वारा खबरें भेजकर इसका सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन किया।
कार्य - प्रणाली
जिस तरह शहरों का टेलीफोन कोड (एसटीडी कोड) होता है, उसी तरह टेलीग्राम करने के लिए जिलों व शहरों का टेलीग्राम कोड भी हुआ करता था। यह टेलीग्राम कोड छह अक्षरों का होता था। टेलीग्राम करने के लिए प्रेषक अपना नाम, संदेश और प्राप्तकर्ता का पता आवेदन पत्र पर लिखकर देता था, जिसे टेलीग्राम मशीन पर अंकित किया जाता था और शहरों के कोड के हिसाब से प्राप्तकर्ता के पते तक भेजा जाता था।
टेलीग्राम करने के लिए पहले मोर्स कोड का इस्तेमाल हुआ करता था। विभाग के सभी सेंटर एक तार से जुड़े थे। मोर्स कोड के तहत अंग्रेजी के अक्षरों व गिनती के अंकों का डॉट (.) व डैश (-) में सांकेतिक कोड बनाया गया था, तथा सभी टेलीग्राम केंद्रों पर एक मशीन लगी होती थी... जिस गांव या शहर में टेलीग्राम करना होता था, उसके जिले या शहर के केंद्र पर सांकेतिक कोड से संदेश लिखवाया जाता था। मशीन के माध्यम से संबंधित जिले या शहर के केंद्र पर एक घंटी बजती थी, जिससे तार मिलने की जानकारी प्राप्त होती थी और सूचना तार के माध्यम से केंद्र पर पहुंचती थी। घंटी के सांकेतिक कोड को सुनकर कर्मचारी प्रेषक द्वारा भेजे गए संदेश को लिख लेता था। गड़बड़ी की आशंका के चलते टेलीग्राम संदेश बहुत छोटा होता था। संदेश नोट करने के बाद डाकिया उसे संबंधित व्यक्ति तक पहुंचाता था।
टेलीग्राम या तार अक्सर मृत्यु या किसी की तबीयत ज़्यादा खराब होने की जानकारी देने के लिए ही की जाती थी, और इसीलिए जब किसी घर में डाकिया तार लेकर आता था, तो लोगों के दिलों की धड़कनें तेज हो जाती थी और कई बार तो बगैर तार पढ़े ही लोग रोना शुरू कर देते थे।
तार सेवा सेना और पुलिस के साथ ही खुफिया विभाग के लिए बेहद उपयोगी थी। तत्काल संदेश पहुंचाने और गोपनीयता बरकरार रहने की वजह से सेना और पुलिस के साथ ही खुफिया संदेश भेजने के इच्छुक लोग इसका प्रयोग किया करते थे।
भारत में तार सेवा
- तार अथवा टेलीग्राम डाक द्वारा भेजा जाने वाला एक संदेश (पत्र) होता है।
- शुरुआत 11 फरवरी, 1855 को आम जनता के लिए यह सुविधा शुरू हुई।
- टेलीग्राफ़ एक्ट अक्टूबर 1854 में पहली बार टेलीग्राफ़ एक्ट बनाया गया।
- 1957-58 में एक साल में तीन करोड़ दस लाख तार भेजे गए, और इनमें से 80 हज़ार तार हिंदी में थे।
- 1981-82 तक देश में 31 हज़ार 457 तारघर थे और देशी तारों की बुकिंग 7 करोड़ 14 लाख तक पहुंच चुकी थी।
- आजादी के बाद 1 जनवरी 1949 को देश के नौ तारघर - आगरा, इलाहाबाद, जबलपुर, कानपुर, पटना, वाराणसी आदि शहरों में हिंदी में तार सेवा की शुरूआत की गई थी।
टेलीग्राम सेवा से लगातार गिरते राजस्व के बाद सरकार ने बीएसएनएल बोर्ड को फैसला लेने का अधिकार दिया और उसने डाक विभाग से सलाह-मशविरे के बाद टेलीग्राम सेवा को 15 जुलाई, 2013 से बंद करने का फैसला किया।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और सदैव वह अपने प्रियजनों से जुड़े रहना चाहता है। पहले कबूतर और संदेशवाहक का प्रयोग किया जाता रहा है। डाक और तार सेवा के प्रयोग ने इसकी जगह ले ली। तकनीक के उत्तरोत्तर विकास के क्रम में अब इसकी जगह मोबाइल फोन और इंटरनेट ने ले ली है। परन्तु तार सेवा ने जिस प्रकार अपने युग में संपर्क और संचार के कीर्तिमान स्थापित किए हैं वो अविस्मरणीय है।
ऐसे में फिल्म अनाड़ी के गीत के बोल बरबस ही याद आने लगते हैं -
तेरा जाना, दिल के अरमानों का लूट जाना
कोई देखे, बन के तकदीरों का मिट जाना
साभार संकलित
1.https://m.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B0_(%E0%A4%A1%E0%A4%BE%E0%A4%95)
2.https://hi.m.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AB
3. https://khabar.ndtv.com/news/zara-hatke/what-was-telegraph-service-which-shut-down-after-163-years-366018
रवि चन्द्र गौड़
1 Comments
बहुत ही जानकारी भरा आलेख।स्मृतियों को ताजा कर गया।
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