अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur)
(मेरी बात,रचना - 47,जीतेंगे हम हर बाजी जीवन की)
आए चाहेेेे कितनी ही बड़ी चुनौतियां,
जीतेंगे हम हर बाजी जीवन की,
लेकर अवलंब अपने विश्वास का,
बढ़ा चुके हैं अपने कदम जीत की ओर,
ऊहापोह, अटकलो, उलझनो, अवसादों को,
छोड़ कर बहुत पीछे,
लिखेंगे अब सफलता की नई इबारत,
लेकर संकल्प सृजन का मन में,
उम्मीदों से होकर भरपूर,
है हम अपनी धुन के पक्के,
दूर नही मंजिल अब अपनी,
आए चाहेेेे कितनी ही बड़ी चुनौतियां,
जीतेंगे हम हर बाजी जीवन की,
समय नही रहता सदा एक सा,
जो बीत गया उससे ले कर सबक,
कर चुके हैं निश्चय ,
छूना है उस अनंत अंबर को,
करके सोच अपनी सही,
हिम्मत कभी न हारेंगे,
संघर्षों की रोशनी से,
दूर करेंगे असफलता के अंधियारों को,
आए चाहेेेे कितनी ही बड़ी चुनौतियां,
जीतेंगे हम हर बाजी जीवन की,
कल से बदलेंगे हम खुद को,
टालेगा फिर कल पर मन इसको,
एक मिथ्या-सा छल जाएगा हमको,
यही सोच तो फिर हमें भरमायेगी,
नहीं डिगेंगे नही झुकेंगे हम,
इन प्रलोभनों से,
चुनेंगे सही विचारों को,
आए चाहेेेे कितनी ही बड़ी चुनौतियां,
जीतेंगे हम हर बाजी जीवन की......
जीतेंगे हम हर बाजी जीवन की......
रवि चन्द्र गौड़
1 Comments
उत्तम रचना
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