पेज पर आप सभी का स्वागत है। कृप्या रचना के नीचे कमेंट सेक्शन में अपनी प्रतिक्रिया दे कर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें।

ठहरा हुआ सा है मेरा वक्त(कविता)

अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur)

मेरी बात, (रचना -50,ठहरा हुआ सा है मेरा वक्त)

कभी तो जीवन ही लगता है,
बोझ सरीखा सा,
निष्प्राण,निस्तेज और निरुत्साहित,
कष्टों का पारावार ही नही है,क्योंकि
समस्याओं की दहलीज पर,
ठहरा हुआ सा है मेरा वक्त,
मौन को धारण करके
धैर्य को बनाकर अपना संबल,
समाधान की खोज में, 
होकर अपने उत्साह से लबरेज़,
निकल पड़ा तो हूं मैं,
करने अपना पुरुषार्थ क्योंकि,
समस्याओं की दहलीज पर,
ठहरा हुआ सा है मेरा वक्त,
मंजिल का तो पता नहीं,
पर चलने को हूं विवश,
नित दिन हो कर शिथिल सी,
महत्वकांक्षाएं टंग जाती है सलीब पर,
मगर कर्तव्य पथ तो है पुकारता, क्योंकि
समस्याओं की दहलीज पर,
ठहरा हुआ सा है मेरा वक्त,
ठहरा हुआ सा है मेरा वक्त........

रवि चन्द्र गौड़



Post a Comment

4 Comments

👆कृप्या अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करें। आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए बहुमूल्य हैं।

SOME TEXTS/PICTURES/VIDEOS HAVE BEEN USED FOR EDUCATIONAL AND NON - PROFIT ACTIVITIES. IF ANY COPYRIGHT IS VIOLATED, KINDLY INFORM AND WE WILL PROMPTLY REMOVE THE TEXTS/PICTURES/VIDEOS.