अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur)
कभी तो जीवन ही लगता है,
बोझ सरीखा सा,
निष्प्राण,निस्तेज और निरुत्साहित,
कष्टों का पारावार ही नही है,क्योंकि
समस्याओं की दहलीज पर,
ठहरा हुआ सा है मेरा वक्त,
मौन को धारण करके
धैर्य को बनाकर अपना संबल,
समाधान की खोज में,
होकर अपने उत्साह से लबरेज़,
निकल पड़ा तो हूं मैं,
करने अपना पुरुषार्थ क्योंकि,
समस्याओं की दहलीज पर,
ठहरा हुआ सा है मेरा वक्त,
मंजिल का तो पता नहीं,
पर चलने को हूं विवश,
नित दिन हो कर शिथिल सी,
महत्वकांक्षाएं टंग जाती है सलीब पर,
मगर कर्तव्य पथ तो है पुकारता, क्योंकि
समस्याओं की दहलीज पर,
ठहरा हुआ सा है मेरा वक्त,
ठहरा हुआ सा है मेरा वक्त........
रवि चन्द्र गौड़
4 Comments
Very well sir👍
ReplyDeleteVery nice lines, but always think positive because you have ability to fight with problems,
ReplyDeleteNext will be good...
lines bhut hi achchhi hain pr sakaratmak soch rkhen.
ReplyDeleteसूंदर
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