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शब्द(कविता)

अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur)

मेरी बात,(रचना - 53,शब्द )

शब्दों में ही रचा - बसा संसार,
शब्द ही सबक,
शब्द ही परिणाम,
शब्द ही सनक,
शब्द ही ललक,
शब्द ही कविता,
शब्द ही माया,
शब्द ही सहानुभूति,
शब्द ही मरहम,
शब्द ही चुभे शूल सरीखे,
शब्द ही हरे दुःख
शब्द ही परिचायक,
हर अभिव्यक्ति की,
शब्द ही रुलाते,शब्द ही हंसाते,
आशीर्वाद और आशीष बनते,
रिश्तों को जोड़ते,व्यापार बढ़ाते,
शिक्षा का आरंभ करते,
शब्द ही मित्र 
और शब्द ही शत्रु,
भावों में रस,
मूक संकेतों में जीवन,
प्रेम की भाषा बनते,
वाद - विवाद,
अनुनय - विनय, 
प्रीति और मनुहार,
सबके कारक है शब्द,
आदिकवि से राष्ट्रकवि तक की,
कल्पनाओं को कागज पर उतार कर,
रचनाओं का आधार देते,
नवजात की रूदन,
और सृष्टि का नाद,
पूजन - कीर्तन,
आरती - अज़ान,
अरदास और मंत्र,
सब कुछ तो है शब्द,
ध्वनित होते है, 
सृष्टि के कण -कण में,
कोयल की कूक में,
और वाहनों की चिल्ल - पों में,
दर्द में और खुशी में,
सबमें प्राण फूंकते है शब्द,
व्यक्तित्व की अमरता के द्योतक,
जो कहे हमेशा से,
बोलों सदा तौल कर मुझे।

रवि चन्द्र गौड़






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