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Wednesday 23/04/25, week 17
सूर्योदय: 05:20 , सूर्यास्त: 18:21
दिन की लम्बाई: 13h 1m
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ये आंखे... (कविता)

अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur)

मेरी बात,(रचना -36, ये आंखें...)

कभी काजल से सजी तो,
कभी आंसुओं से भरी हुई,
हर्ष और विषाद की 
अनुभूति कराती,
ये आंखें...
कभी प्रेम से देखती हुई तो,
कभी क्रोध से लाल हुई,
खुद मे जीवन का सार समेटे हुए,
ये आंखे...
मौन को शब्द देती,
सहमति से स्वीकृति की ओर ले जाती,
अव्यक्त को भी व्यक्त करती,
ये आंखे...
कभी तीर - कमान तो,
कभी कटारी बनती,
कभी प्रेम तो कभी घृणा,
का अर्थ समझाती,
ये आंखें...
सौंदर्य को गहनता देती,
रिश्तों को जीवंत बनाती,
दृष्टि की शक्ति देती,
ये आंखें...
शब्द और अर्थ का पर्याय बनती,
भावनाओं का निर्झर बनती,
नवजीवन का संचार करती,
हमारी और तुम्हारी,
ये आंखे...
ये आंखे...


रवि चन्द्र गौड़






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