अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) (मेरी बात, रचना - 49,शकुनि के पासे) अन्याय और दमन का गरल पी कर, पिता की अस्थियों से निर्मित, कुरूवंश के पतन के संवाहक, अन्याय और अनीति के द्योतक, चौसर पर इच्छाओं से, थिरकते और अंक बद…
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