अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात, (रचना -51,ये चालीस के बाद का जीवन) बचपन के पापा के राजा और राजकुमार, मम्मी की रानी और राजकुमारी, दादी और नानी की परी,जादूगरनी और चुड़ैल की कहानियों की धुंधली स्मृतियों के स…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात, (रचना -50,ठहरा हुआ सा है मेरा वक्त) कभी तो जीवन ही लगता है, बोझ सरीखा सा, निष्प्राण,निस्तेज और निरुत्साहित, कष्टों का पारावार ही नही है,क्योंकि समस्याओं की दहलीज पर, ठहरा ह…
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