अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात(रचना - 55,फूल की याचना) फूल कभी प्रतिकार नही; गुहार करते हैं, सदा करते है अपना सर्वस्व उत्सर्ग, गंध,रस,सौंदर्य दे कर, कली से मुरझाने तक का, जीवन हमें भी जीना है, न तोड़ो, …
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात,(रचना - 54, तुम और मैं.. ) तुम और मैं, हैं सबकी सोच से परे, तुम शब्द तो मैं अर्थ, तुम बिन मैं हूं व्यर्थ, तुम ध्वनि तो मैं नाद, तुम जीवन तो मैं प्रेरणा, तुम सांसे तो मैं प्र…
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