अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात, (रचना - 40, मुद्दतों बाद. ) कुछ कहने और सुनने को उत्सुक, जीवन के खालीपन को भूल कर, मुद्दतों बाद आज मन हुआ है यायावर, देखा भी और सुना भी बहुत, अब कुछ नया करने को तत्पर, मुद्…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात, (रचना - 39, एहसास अब सिमट रहे हैं ) एहसास अब सिमट रहे हैं, कभी शब्द नहीं मिलते, तो कभी ह्रदय, समर्पण और प्रेम भी, सदैव साथ नहीं चलते, शुष्क हो चले हैं, अब तो भाव भी, काग…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात, (रचना - 38, रेल की पटरियां) रेल की पटरियां, दूर तक दिखाई देती, राह के साथ चलती, खुद से ही बातें करती, हमेशा से कुछ कहती है, कभी सीधी तो कभी टेढ़ी, पर आपस में जुड़ी हुई, तो …
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