अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात ,(रचना - 32,क्रोंच की व्यथा) देख कर पीड़ा और अंत हमारा, उपजी थी प्रेरणा तुम्हारे अन्तःकरण में, कह कर मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः....., लिख दी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की क…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात ,(रचना - 31,अब सीख लिया है मैंने.......) बंद कर के कपाट, अपने हृदय के, खो जाऊंगा मैं भी अपने मौन में, प्रतीक्षित भी नहीं है, अब कामनाएं मेरी, मनुहार और गुहार अब और नहीं, …
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात ,(रचना - 30,बोनसाई हूं मैं..... ) सब कुछ हुआ जा रहा है छोटा सा, फल, तने, जड़, पत्तियां सब हो गई है छोटी, गमले भर ही रह गया है अब मेरा संसार तने और शाखाओं की विशालता बनी है…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात ,(रचना - 29, चुनाव आइल बा, नेता जी के सवारी आइल बा ) चुनाव आइल बा, नेता जी के सवारी आइल बा, करतारन मनलुभावन बतिया घूम - घूम के, हम देब नौकरियां बेरोजगारन के, अरे हमही देब …
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