अभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात, (रचना - 37, विदा - 2020) अगणित स्मृतियों को सहेजकर, विदा हो रहा एक साल जीवन का, बना गया साक्षी अनेक घटनाओं का, भारतवर्ष को विश्वपटल पर, शाहिनबाग के विरोध का, तबलीगी जमात और…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) भुगतान शेष/संतुलन (Balance of payments) आज प्रत्येक देश का दूसरे देश के साथ व्यापारिक संबंध होता है। आयात, निर्यात, पूंजी प्रवाह एवं उसका हस्तांतरण, सेवाओं को प्रदान करना या उपयोग कर…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) विनिमय दर (Exchange rate ) विनिमय दर (Exchange Rate) एक देश का दूसरे देश के साथ व्यावसायिक एवं व्यापारिक संबंध होता है और सभी देशों की अपनी - अपनी करेंसी होती है,जिसमे वो एक - दूसरे …
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) बजट का अर्थ (Meaning of Budget) बजट शब्द की उत्पत्ति फ्रांसीसी शब्द "Bougetee" से हुई है,जिसका अर्थ है- चमड़े का थैला। वर्तमान समय मे वित्त मंत्री बजट प्रस्ताव चमड़े के थै…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात, (रचना -37, डायरी) जीवन की घटनाओं को दे कर, क्रमबद्धता और सजीवता, लिखती हूं मैं अपने पन्नों पर, यादों का ताना - बाना, चाहे सुख के पल हो, या दुख के आँसू, जीवन की उपलब्धियां …
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात,(रचना -36, ये आंखें...) कभी काजल से सजी तो, कभी आंसुओं से भरी हुई, हर्ष और विषाद की अनुभूति कराती, ये आंखें... कभी प्रेम से देखती हुई तो, कभी क्रोध से लाल हुई, खुद मे जीवन …
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) The Hundred Dresses by Eleanor Estes. About The Author ELEANOR ESTES (1906-1988), a children's librarian for many years, launched her writing career with the publication of The M…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात, (रचना - 35, मुखौटा) हर चेहरा आज सुंदरता का पर्याय है, इन चेहरों के पीछे साजिशों और रंजिशो के, कई चेहरों का मुखौटा है, जो करते थे दावा अपनेपन का , आज वही सबसे ज्यादा दू…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात,(रचना - 34,कि तुम न आओगी) न तुम जानती हो और न मै, कि बात क्या हुई, तल्खियां पसरती गई और हम खुद में ही सिमटते गए, फिर नहीं आया रास हमें कुछ भी, तुम्हारा काजल, बिंदिया और श्…
Read moreअभिव्यक्ति : कुछ अनकही सी (abhivyaktibyrcgaur) मेरी बात,(रचना - 33, झाड़ू ) मै झाड़ू हूं। मै मनुष्य द्वारा , मनुष्य के लिए, मनुष्य की रचना हूं। आप मुझे उपकरण, यंत्र, शस्त्र आदि की संज्ञा दे सकते हैं। सभ्यता के प्रारम्भ के साथ ही …
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